"पंचेन रिनपोछे की शी जिनपिंग से मुलाकात – धर्म, राजनीति और रेशमी दुपट्टे का मेल!" 😄
बीजिंग में 6 जून को कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर भगवान बुद्ध भी सोच में पड़ जाते कि ये धार्मिक मुलाकात थी या राजनीति का क्लास प्रोजेक्ट!
चीन के सबसे बड़े बॉस, यानी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (जो वैसे ही एक साथ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और फौज के भी सुपरबॉस हैं) ने पंचेन रिनपोछे से मिलकर देश की एकता, तिब्बती परंपरा और धर्म के "चीनीकरण" पर चर्चा की।
🎁 क्या हुआ इस महामुलाकात में?
जैसे ही पंचेन रिनपोछे पहुंचे, उन्होंने शी जी को एक हादा (रेशमी दुपट्टा) भेंट किया। अब हमारे यहां माला पहनाई जाती है, वहां रेशमी दुपट्टा ही स्टाइल है!
फिर बातों का दौर चला – मगर ये बातें भक्ति वाली नहीं, बल्कि "धर्म को चीन के हिसाब से ढालने" की थीं।
यानि भगवान की सेवा भी... पार्टी की नीति के तहत!
😂 क्या बोले शी जिनपिंग?
"पंचेन जी, आप धर्म सीखते रहिए, लेकिन चीनी ढंग से! और तिब्बत में भी चीनी स्टाइल का आधुनिकीकरण करिए!"
मतलब साफ है – बुद्ध भी अगर आज होते तो पहले ‘मार्क्स’ पढ़ने को कहा जाता।
😇 पंचेन रिनपोछे का जवाब भी क्या कम था?
"हां जी हां, मैं पार्टी के साथ ही रहूंगा। धर्म भी पार्टी के दिशा-निर्देश में चलाऊंगा। और तिब्बत को भी अपग्रेड करूंगा – वो भी चीनी सिस्टम से!"
अब ये सुनकर तो भगवान भी बोले होंगे – "भैया ये मोक्ष से बड़ा मिशन तो तुम्हारा ‘आधुनिकीकरण’ है!"
🧠 अंदर की बात
असल में पंचेन लामा वो व्यक्ति होता है जो दलाई लामा की पहचान में मदद करता है। लेकिन चीन ने अपना पंचेन खुद घोषित किया है। इसलिए ये मुलाकात आध्यात्मिक से ज़्यादा “राजनीतिक पूजा” जैसी थी।
🔚 निष्कर्ष – हँसी में गूढ़ संदेश
जब धर्म की बात हो और उसमें सरकार की स्क्रिप्ट शामिल हो जाए, तो बात भगवान से ज़्यादा बॉस की हो जाती है।
अब तिब्बती परंपरा रहेगी या पार्टी की पाठशाला चलेगी – ये तो आने वाला समय बताएगा।
लेकिन फिलहाल बीजिंग में धर्म और राजनीति एक साथ ‘धूपबत्ती’ और ‘फाइल’ दोनों जलाते दिख रहे हैं! 😄
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